Power of a peaceful mind…
एक बार ग्रीस के महान दार्शनिक सुकरात अपने कुछ शिष्यों के साथ बैठे थे और कुछ चर्चा कर रहे थे। तभी वहां एक ज्योतिषी आया।
वह ज्योतिषी बोला की मैं बहुत ज्ञानी हूँ की किसी का भी चेहरा देखकर उसका चरित्र बता सकता हूँ। तो यहाँ कौन मेरे ज्ञान को परखना चाहेगा ? वहां उपस्ठित सभी शिष्य सुकरात की ओर देखने लगे।
तब सुकरात ने उस ज्योतिषी को अपने बारे में बताने को कहा। तब वह ज्योतिषी सुकरात को बहुत ध्यान से देखने लगा।
सुकरात दिखने में ज्यादा अच्छे नहीं थे बल्कि कहना चाहिए एक तरीके से देखा जाये तो उन्हें बदसूरत कहना कोई अतिश्योक्ति न होगी। ज्योतिषी उनको कुछ देर तक उनको निहारने के बाद बोला ,”तुम्हारे चेहरे की बनावट बता रही है की तुम सत्ता के विरोधी हो , तुम्हारे अंदर विद्रोह की भावना प्रबल है , तुम्हारे आँखों के बीच की सिकुड़न तुम्हारे अत्यंत क्रोधी स्वाभाव को दिखती है … ”
ज्योतिषी की ये बातें सुन कर वह बैठे शिष्यों को क्रोध आ गया और उन्होंने उस ज्योतिषी को वह से चले जाने को कहा लेकिन सुकरात ने उस ज्योतिषी को अपनी बात पूरी करने के लिए कहा।
तब वह ज्योतिषी दोबारा बोला ,”तुम्हारा बेडौल सर और माथा बताता है की तुम बहुत लालची हो , और तुम्हारी ठोड़ी की बनावट बता रही है कि तुम बहुत ही सनकी हो। ”
इतना सुनते ही शिष्य और भी ज्यादा क्रोधित हो गए लेकिन सुकरात खुश हो गए और उन्होने उस ज्योतिषी को इनाम दे कर विदा किया। शिष्य सुकरात के इस व्यवहार से आश्चर्यचकित रह गए उन्होंने सुकरात से उस ज्योतिषी को इनाम देने का कारण पूछा।
तब सुकरात ने कहा कि ज्योतिषी के द्वारा बताये गए सरे अवगुण मुझमें हैं परन्तु उसने सिर्फ मेरे बाहरी चीजें ही देखीं वह मेरे अंदर के विवेक को नहीं आंक पाया, जिसके बल पर मैं अपने सब अवगुणो को नियंत्रित कर के रहता हूँ , वह बस यही चूक गया वो मेरे बुद्धि के बल को है जान पाया। सुकरात ने बात पूरी की।
शिक्षा : अवगुण सभी के अंदर होते हैं। इस संसार में कोई अवगुणो से रहित नहीं है परन्तु हम अपनी बुद्धि के बल पर अपने विवेक से उन अवगुणो पर विजय पा सकते हैं।
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